देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ शब्दों में कहा, श्रमिकों का हित हमारी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। बुधवार को सचिवालय में हुई उत्तराखण्ड असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा बोर्ड की बैठक में उन्होंने अधिकारियों को दो टूक निर्देश दिए कि श्रमिकों के लिए बनाई गई योजनाओं को जमीन पर उतारें, ताकि हर पात्र को उसका पूरा हक मिले।
सीएम ने कहा कि बोर्ड का मकसद श्रमिकों का भला करना है, तो इसके लिए साफ प्लान बनाएं। सारी योजनाओं को एक छत के नीचे लाएं, जिससे कोई भी लाभ से वंचित न रहे। उन्होंने जोर दिया कि योजनाओं को इस तरह जोड़ा जाए कि श्रमिकों को ज्यादा से ज्यादा फायदा हो और उनकी निगरानी भी आसानी से हो सके। राज्य के संसाधनों का सही इस्तेमाल हो, ये हमारी जिम्मेदारी है, उन्होंने अधिकारियों को याद दिलाया।
पंजीकरण की प्रक्रिया को और आसान करने का आदेश देते हुए सीएम ने कहा कि श्रमिकों के बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ें, उन्हें सुविधाएं दें और उनके स्किल डेवलपमेंट पर फोकस करें। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि योजनाओं की जानकारी आम लोगों तक सरल भाषा में पहुंचे। बैठकों में पीपीटी बनाएं, जिसमें तीन बातें साफ हों- अब तक क्या हुआ, जो नहीं हुआ उसकी वजह और आगे का प्लान क्या है। बोर्ड के सदस्यों के सुझावों को भी भविष्य में शामिल करने की बात कही।
बैठक में कुछ रोचक आंकड़े भी सामने आए। राज्य में करीब 30 लाख श्रमिक पंजीकृत हैं, जिनमें 17 लाख महिलाएं और 13 लाख पुरुष हैं। 20 लाख का सत्यापन हो चुका है, जिसमें 2.5 लाख निर्माण श्रमिक और 17.50 लाख अन्य कामगार शामिल हैं। ई-श्रम पोर्टल के 15 पंजीकृत श्रमिकों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना का लाभ मिला है, जिसमें 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा दिया जाता है। वहीं, पीएम श्रम योगी मानधन योजना में 39,567 कामगार जुड़े हैं, जिनमें 20,509 महिलाएं और 19,058 पुरुष हैं।
इस बैठक में प्रमुख सचिव आर के सुधांशु, न्याय सचिव प्रदीप पंत, सचिव नीतेश झा, सचिन कुर्वे, डॉ. पंकज पांडेय जैसे बड़े अधिकारी और बोर्ड के सदस्य मौजूद रहे। सीएम धामी के इन कदमों से साफ है कि श्रमिकों का भविष्य संवारने के लिए सरकार पूरी तरह कमर कस चुकी है।
