देहरादून, 28 सितम्बर। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को सचिवालय में प्रवासी उत्तराखण्ड प्रकोष्ठ की लांच की। प्रवासी उत्तराखण्ड प्रकोष्ठ की वेबसाइट आइटीडीए के माध्यम से तैयार की गई है। वेबसाइट के माध्यम से प्रवासियों को राज्य सरकार की विभिन्न नीतियों, कार्यक्रमों एवं गतिविधियों की जानकारी प्रदान की जायेगी।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि 07 नवम्बर को प्रस्तावित प्रवासी उत्तराखण्ड दिवस के अवसर पर देहरादून में देश के विभिन्न प्रदेशों में रह रहे प्रवासियों को आमंत्रित कर भव्य सम्मेलन आयोजित किया जाए। उन्होंने कहा कि अपनी मातृभूमि से सबका जुड़ाव होता है। राज्य सरकार का प्रयास है कि उत्तराखण्ड के प्रवासियों का राज्य के विकास के लिए सहयोग लिया जाए और उनको अपनी मातृभूमि से जुड़ाव के लिए उन्हें हर संभव सहयोग किया जाए।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि विदेशों में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडियों को भी आमंत्रित कर राज्य में जल्द एक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया जाए। विदेशों में रह रहे सभी प्रवासी उत्तराखण्डियों का डाटाबेस अपडेट रखा जाए। उन्होंने कहा कि विदेश भ्रमणों के दौरान हमारे प्रवासी भाई-बहनों द्वारा जिस तरह भव्य रूप से स्वागत किया जाता है, इससे उनका अपनी पैतृक भूमि से लगाव और अपनी संस्कृति से जुड़ाव स्पष्ट परिलक्षित होता है।
उत्तराखण्ड राज्य से विभिन्न देशों एवं भारत के विभिन्न प्रदेशों में निवासरत उत्तराखण्डी प्रवासियों तक राज्य सरकार की पहुंच बनाने और प्रावासी उत्तराखण्डियों को उनकी मातृ भूमि के साथ जोड़ने, राज्य के विकास में उनकी विशेषज्ञता, अनुभव एवं वित्तीय क्षमताओं का लाभ लिये जाने तथा उल्लेखनीय उपलब्धि वाले प्रवासियों को सम्मानित करने के उद्देशय से राज्य में प्रवासी उत्तराखण्ड प्रकोष्ठ की स्थापना की गई है। प्रकोष्ठ द्वारा विभिन्न स्रोतो से देश के अन्दर एवं विदेशों में कार्यरत प्रवासी संगठनों एवं प्रतिष्ठित प्रवासियों के सम्पर्क सूत्र एकत्र किये है। अभी तक 18 देशों में रह रहे प्रवासी उत्तराखण्डियों से सम्पर्क स्थापित किया जा चुका है।
इस अवसर पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, डा. बी.वी.आर.सी पुरूषोत्तम, दीपेन्द्र चौधरी, एस.एन.पाण्डेय, महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी, निदेशक आईटीडीए नीतिका खण्डेलवाल, प्रवासी उत्तराखण्ड प्रकोष्ठ के सदस्य सुधीर चन्द्र नौटियाल एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

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