नई दिल्ली/देहरादून, 15 जुलाई। बीते 10 जुलाई को दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ मंदिर के निर्माण के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा किए गए भूमि पूजन के विरोध की आग शांत होती नहीं दिख रही है। उत्तराखंड के धामों के साधु—संत और पुजारियों द्वारा इसके विरोध में धरना प्रदर्शन जारी है वहीं व्यापारी भी इसके विरोध में उतर चुके हैं। सोमवार को ओंकारेश्वर मंदिर प्रांगण में साधु संतों व पुजारियों ने इसके विरोध में धरना प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि उत्तराखंड के धामों की एक मर्यादा है जिसके साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिए। शक्ति पीठ और ज्योतिर्लिंगों के नाम पर धर्म का धंधा नहीं किया जाना चाहिए। कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी ने अपने 10 जुलाई को भूमि—पूजन कार्यक्रम के दौरान कहा था कि जो लोग किसी कारणवश केदारनाथ धाम नहीं जा सकते हैं वह अब दिल्ली में ही केदारनाथ बाबा के दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली में प्रतीकात्मक मंदिर बनाया जा रहा है तो वहां बाबा केदार के दर्शन कैसे संभव है।
उधर केदार धाम के तीर्थ पुरोहित और पुजारियों तथा व्यवसायियों का कहना है कि इस मामले में बद्री—केदार समिति को हस्तक्षेप करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे राज्य के व्यापारियों तथा पुजारियों के हित प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि जब दिल्ली में ही केदारनाथ बाबा के दर्शन हो जाएंगे तो दुनिया भर के लोगों को केदार धाम आने की जरूरत ही क्या रह जाएगी। उधर दिल्ली केदार नाथ धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष जिनके प्रयासों से बुराड़ी में भूमि पूजन कराया गया, का कहना है कि यह एक प्रतीकात्मक मंदिर होगा न कि केदारनाथ धाम। उन्होंने कहा कि इस पर भ्रम फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनके ट्रस्ट में तमाम उत्तराखंड के लोग शामिल हैं जिनके सहयोग व इच्छा पर यह मंदिर बनाने का फैसला किया गया है।

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