उत्तराखंड में मानसूनी आपदा के कारण बाधित हुई केदार धाम यात्रा को पुन संचालित करने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। सड़कों, पुलों और पैदल मार्गों की स्थिति को सुधारने में अभी कम से कम दो सप्ताह का समय लग सकता है। दो दिन पहले शुरू की गई हेली सेवा भी खराब मौसम के कारण सुचारू रूप से संचालित नहीं हो रही है।
31 जुलाई को भारी बारिश के कारण सोनप्रयाग से लेकर केदार घाटी तक सड़कों और पैदल मार्गों को भारी नुकसान पहुंचा था। दो पुलों के बहने तथा 18 पुलों के क्षतिग्रस्त होने से यात्रा को बंद करना पड़ा था। सड़क मार्गों व पैदल रास्तों को दुरुस्त करने के लिए 200 करोड़ खर्च का अनुमान लगाया गया है। सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच 200 मीटर सड़क के पूरी तरह बह जाने के कारण इसका निर्माण कार्य अत्यंत मुश्किल हो रहा है वहीं पुलों के निर्माण के बिना यात्रा को संचालित कर पाना संभव नहीं है ऐसी स्थिति में अब सोन प्रयाग से केदारनाथ तक पैदल यात्रा ही किया जाना संभव हो सकता है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हालात का जायजा लेने के बाद दो दिन पूर्व हेली सेवा के जरिए यात्रा को जारी रखने का ऐलान किया था तथा हेली के किराए में भी 25 फीसदी कम कर दिए गए थे। दो दिनों से हेली सेवा शुरू की गई है लेकिन खराब मौसम उसमें भी बाधा बना हुआ है। बीते कल हेली सेवा से 50 यात्री धाम पहुंचे तथा शुक्रवार को 30 यात्रियों ने दर्शन किए लेकिन खराब मौसम के कारण आज इसे रोकना पड़ा।
केदारनाथ मार्ग इस आपदा के कारण 29 स्थानों पर क्षतिग्रस्त है जिनमें से 10 स्थानों पर मरम्मत कार्य ही अब तक पूरा हो सका है। जिन स्थानों पर सड़क का बड़ा हिस्सा गायब हो गया है वहां से यात्रियों को ट्रॉली में भेजने के प्रयासों पर भी काम किया जा रहा है लेकिन अभी इस यात्रा मार्ग को आने जाने लायक बनाने में काफी समय यानी दो सप्ताह अनुमानित है। गौरीकुंड से सोनप्रयाग के बीच सबसे अधिक नुकसान सड़कों व पैदल मार्गों को हुआ है जिसे ठीक करने में 500 से अधिक का मैन पावर और मशीन लगी हुई है। उधर मौसम भी निर्माण व मरम्मत कार्य में बाधा बना हुआ है। केदारनाथ यात्रा दोबारा कब तक सुचारू रूप से संचालित हो पाएगी अभी इसके बारे में कुछ भी कह पाना मुश्किल है।
