नैनीताल। उत्तराखंड में अवैध मदरसों के खिलाफ चल रही कार्रवाई ने रफ्तार पकड़ ली है। हल्द्वानी में प्रशासन ने सोमवार को पांच और मदरसों को सील कर दिया, जिसके साथ अब तक सील किए गए मदरसों की संख्या 18 हो गई है। इस कार्रवाई का नेतृत्व स्वयं उपजिलाधिकारी कर रहे हैं। इससे पहले वनभूलपूरा इलाके में 13 मदरसे सील किए जा चुके हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में स्पष्ट संदेश दिया है कि राज्य में किसी भी प्रकार के अवैध कब्जे या गैरकानूनी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने दोहराया कि कानून का पालन सभी के लिए अनिवार्य है और जो इसका उल्लंघन करेगा उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
जिला प्रशासन की इस कार्रवाई के तहत उन मदरसों पर कार्रवाई की जा रही है जो न तो पंजीकृत हैं और न ही उनके पास भूमि स्वामित्व या संचालन से जुड़े वैध दस्तावेज उपलब्ध हैं। साथ ही, जिनके आय के स्रोत भी संदिग्ध हैं, उन्हें भी कार्रवाई के दायरे में लाया जा रहा है।
प्रदेश भर में यह अभियान व्यापक रूप से चल रहा है। अब तक देहरादून में 44, हरिद्वार में 45, उधम सिंह नगर में 65, नैनीताल में 21 और पौड़ी में 2 मदरसे सील किए जा चुके हैं। इन आंकड़ों से साफ है कि राज्य में बड़ी संख्या में मदरसे अवैध रूप से संचालित हो रहे थे, जिन पर अब प्रशासन सख्ती से नकेल कस रहा है।
चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई है कि कई ऐसे मदरसे भी अवैध पाए गए हैं, जो वक्फ बोर्ड की जमीनों पर चल रहे थे। इस बारे में वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड का काम केवल अपनी संपत्तियों के संरक्षण का है, न कि मदरसों का संचालन करना। उन्होंने यह भी कहा कि मदरसों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए, जिससे बच्चों का भविष्य सुरक्षित और समृद्ध हो सके। साथ ही, उन्होंने मुख्यमंत्री धामी द्वारा चलाए जा रहे अभियान का समर्थन करते हुए इसे सही दिशा में उठाया गया कदम बताया।
मुख्यमंत्री ने यह भी संकेत दिया है कि इन मदरसों को मिलने वाली वित्तीय सहायता के स्रोतों की भी जांच की जाएगी। इसके साथ ही वक्फ बोर्ड की अवैध रूप से कब्जाई गई संपत्तियों को भी चिन्हित कर कब्जा मुक्त कराया जाएगा।
राज्य सरकार का यह रुख साफ संकेत देता है कि अब उत्तराखंड में अवैध गतिविधियों के लिए कोई जगह नहीं है। यह अभियान केवल कानून व्यवस्था बनाए रखने की कवायद नहीं, बल्कि सामाजिक पारदर्शिता और न्यायपूर्ण प्रशासन की ओर बढ़ता कदम है।

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