देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सिलक्यारा सुरंग में ब्रेकथ्रू के ऐतिहासिक क्षण पर मौके पर पहुंचकर कार्यक्रम में भाग लिया। यह वही सुरंग है, जहां वर्ष 2023 में निर्माण कार्य के दौरान हुए भूस्खलन में 41 श्रमिक 17 दिनों तक फंस गए थे। उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में चलाए गए रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था। यह रेस्क्यू अभियान देश ही नहीं, दुनिया के सबसे जटिल और लंबे अभियानों में गिना गया।
करीब 853 करोड़ रुपये की लागत से बन रही यह डबल लेन सुरंग चारधाम यात्रा मार्ग का अहम हिस्सा है, जिसकी लंबाई 4.531 किलोमीटर है। इसके निर्माण से गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी 26 किलोमीटर तक कम हो जाएगी, जिससे यात्रियों को यात्रा में सहूलियत और समय की बचत होगी। साथ ही इस क्षेत्र में व्यापार, पर्यटन और रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर परियोजना से जुड़े सभी इंजीनियरों, तकनीकी विशेषज्ञों, श्रमिकों और रेस्क्यू टीमों को बधाई देते हुए कहा कि यह सफलता सिर्फ आधुनिक इंजीनियरिंग की नहीं, बल्कि आस्था, संकल्प और टीम वर्क का भी प्रतीक है। उन्होंने रैट माइनर्स, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सभी सहयोगी संस्थाओं के योगदान को सराहा।
मुख्यमंत्री ने बाबा बौखनाग मंदिर में आयोजित प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भी भाग लिया। उन्होंने बताया कि रेस्क्यू अभियान के समय उन्होंने बाबा बौखनाग से मजदूरों की सकुशल वापसी की प्रार्थना की थी और मंदिर निर्माण का संकल्प लिया था, जो अब पूर्ण हो चुका है। उन्होंने कहा कि बाबा बौखनाग की आस्था ने उस अंधेरे सुरंग में उम्मीद की किरण जगाई थी। मुख्यमंत्री ने बाबा से प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और प्रदेश की खुशहाली की प्रार्थना भी की।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि सिलक्यारा सुरंग का नाम अब बाबा बौखनाग के नाम पर रखा जाएगा। साथ ही गेंवला-ब्रह्मखाल के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बदला जाएगा, बौखनाग टिब्बा को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा और स्यालना के पास एक हेलीपैड का निर्माण किया जाएगा। इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टमटा, स्थानीय विधायकगण, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित रहे।