देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को सचिवालय में वित्त विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान राज्य के समावेशी और सतत आर्थिक विकास के लिए अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सभी विभाग दिसंबर माह तक अपने वार्षिक बजट का कम से कम 80 प्रतिशत व्यय सुनिश्चित करें। इसके लिए नियमित समीक्षा और निगरानी की एक ठोस व्यवस्था बनाई जाए।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि बजट प्राप्ति और खर्च की समीक्षा सचिव स्तर पर नियमित रूप से की जाए। इसके अलावा हर माह मुख्य सचिव और प्रत्येक तीन माह में मुख्यमंत्री स्वयं प्रगति की समीक्षा करेंगे। बजट व्यय की पारदर्शिता और गति सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम लागू करने पर जोर दिया गया।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य की आर्थिक मजबूती के लिए नए संसाधनों के दोहन और जीएसटी संग्रहण को बढ़ाने के प्रयास तेज किए जाएं। उन्होंने विशेष रूप से केंद्र प्रायोजित योजनाओं पर ध्यान देने को कहा, खासकर वे योजनाएं जिनमें केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी क्रमश: 90:10 या 70:30 है। ऐसी योजनाओं को प्राथमिकता में रखा जाए।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बजट का सही समय पर और उचित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए नियोजन विभाग और वित्त विभाग, अन्य सभी विभागों के साथ समन्वय बैठकें करें। उन्होंने मध्यम और दीर्घकालिक योजनाओं की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि अगले 10 वर्षों और वर्ष 2050—जब उत्तराखंड अपनी स्वर्ण जयंती मनाएगा—के लिए आर्थिक विकास की सुनियोजित रूपरेखा तैयार की जाए।
धामी ने राज्य के विकास में नवाचार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मानव संसाधन विकास की महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और खेल के क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता जताई। सब्सिडी से जुड़े मामलों में उन्होंने निर्देश दिए कि इसका सामाजिक और आर्थिक विश्लेषण किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि लाभ केवल पात्र लोगों तक ही पहुंचे।
मुख्यमंत्री ने राज्य के प्रमुख राजस्व स्रोत—जैसे कर, वन, ऊर्जा और जल कर—की नियमित समीक्षा कर राजस्व लक्ष्य प्राप्ति सुनिश्चित करने को कहा। साथ ही, जल जीवन मिशन और अटल आयुष्मान योजनाओं की प्रभावशीलता का विश्लेषण कर उनके संचालन को और बेहतर बनाने की बात कही। उन्होंने बाजार से उधार लेने को सीमित कर अवस्थापना विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का निर्देश भी दिया।
बैठक में यह जानकारी दी गई कि बीते तीन वर्षों में उत्तराखंड की जीएसडीपी वृद्धि दर लगातार 13 प्रतिशत से अधिक रही है। इस वित्तीय वर्ष में खनन से राजस्व में लगभग 400 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि पूंजीगत व्यय 11,000 करोड़ रुपये से अधिक रहा। वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक बजट व्यय 90 प्रतिशत तक पहुँच चुका है, जो संतोषजनक माना गया।
बैठक में उत्तराखंड अवस्थापना अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष विश्वास डाबर, मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, सचिव शैलेश बागेली, दिलीप जावलकर, अपर सचिव हिमांशु खुराना और मनमोहन मैनाली सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
