रुद्रप्रयाग।उत्तराखंड के चार धामों में से एक, गंगोत्री धाम का पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व सभी जानते हैं। हर साल लाखों श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं। गंगोत्री में मां गंगा छह महीने तक विराजमान रहती हैं, और इस बार 30 अप्रैल को कपाट खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा की शुरुआत होगी।
लेकिन इस बार गंगोत्री धाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को स्नान और आचमन के लिए थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। पिछले मानसून के दौरान आए भारी मलबे और पत्थरों के कारण मां गंगा की धारा अब मंदिर और घाटों से दूर हो गई है। पहले जहां गंगा की धारा मंदिर की सीढ़ियों और घाटों को छूती थी, वहां अब मलबे का ढेर जमा है। इससे न सिर्फ धार्मिक गतिविधियों में असुविधा होगी, बल्कि गंगोत्री धाम की प्राकृतिक सुंदरता भी फीकी पड़ी है। हालांकि मंदिर समिति और तीर्थ पुरोहित इस स्थिति को सुधारने के प्रयास में लगे हैं। जेसीबी मशीनों की मदद से मलबा हटाकर गंगा की धारा को फिर से मंदिर की ओर मोड़ने की कोशिश की जा रही है। लेकिन जब तक यह काम पूरा नहीं होता, तब तक श्रद्धालुओं को घाटों से दूर जाकर स्नान करना पड़ेगा। इस वजह से घाटों पर पहले जैसी सुरक्षा व्यवस्था, जैसे सीढ़ियां और लोहे की चैन, अब नहीं रह गई हैं। ऐसे में स्नान करते समय दुर्घटनाओं का खतरा भी बना रहेगा।
अगर शासन-प्रशासन समय पर घाटों की मरम्मत और सफाई करवा देता, तो यह स्थिति नहीं बनती और श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी नहीं होती।
